विज्ञान, तकनीक से जुड़े विषयों पर शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहे आईआईटी के विशेषज्ञ..
उत्तर प्रदेश में अब पहली बार शिक्षकों के प्रशिक्षण में विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही हैं। इसके तहत अब शिक्षण के तौर तरीकों में समय के अनुसार बदलाव किये जायेंगे और प्रयोग के तौर पर यह अभियान चलाया जा रहा है। राज्य के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण में विशेषज्ञों की सहायता से प्रयोग किये जायेंगे। इस तरह विषयों को पढ़ने के नए तरीके अपनाये जायेंगे ताकि छात्रों की उस विषय की गहरी जानकारी हो जाये।
शिक्षकों के शिक्षण कौशल को बढ़ाने के लिए, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर के विशेषज्ञ प्रयागराज में राज्य शैक्षिक प्रबंधन और प्रशिक्षण संस्थान (एसआईईएमएटी) में प्रशिक्षण दे रहे हैं। विशेषज्ञ शिक्षकों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) से संबंधित विषयों को प्रभावी तरीके से पढ़ाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
प्रशिक्षण 13 फरवरी से शुरू होकर 28 फरवरी तक चलेगा, जिसमें राज्य भर के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) के 1500 शिक्षकों के अलावा 375 शिक्षकों, डाइट लेक्चरर, एआरपी और एसआरजी को मास्टर ट्रेनर के रूप में चरणों में प्रशिक्षित किया जाएगा। बाद में ये मास्टर ट्रेनर अपने-अपने जिलों में अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।
पहले बैच में सरकारी उच्च प्राथमिक और स्कूलों के 100 शिक्षकों और केजीबीवी से 100 के अलग बैच को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
सीमैट के निदेशक दिनेश सिंह ने कहा, “प्रशिक्षण में सभी सहायक शिक्षक, सहायक संसाधन व्यक्ति (एआरपी) और राज्य संसाधन समूह (एसआरजी) के सदस्य शामिल होंगे, जो उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा 6-8 के छात्रों को पढ़ाते हैं।”
समग्र लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षक अभिप्रेरणा विकसित करें और अपनी कक्षाओं में व्यावहारिक रचनात्मक अधिगम अभ्यासों को अपनाने में सक्षम हों ताकि बच्चे पाठ्यचर्या की अवधारणाओं को बना सकें, अन्वेषण कर सकें और इस प्रक्रिया में सीख सकें। सिंह ने कहा कि ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि बच्चे गहरी वैचारिक समझ, महत्वपूर्ण सोच और समस्या को सुलझाने के कौशल विकसित कर सकें।
“हम मानते हैं कि एक बार जब शिक्षक परिणाम देख लेंगे, तो वे खुद दूसरों को इस अनुभवात्मक शिक्षा के लाभों से अवगत कराएंगे और शिक्षण के पारंपरिक तरीकों की सीमाओं को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। वे इस अनुभवात्मक शिक्षा को अपने सी में लागू करेंगे